top of page
Writer's pictureMOBASSHIR AHMAD

प्रकृति के प्रति प्रेम और आपसी सौहार्द का पर्व

अविका कुशवाहा


अनिका कंप्यूटर पर नजरें टिकाए, ऑफिस के कामों में बिजी है। लेकिन उसका मन बहुत उदास था। बगल के डेस्क पर ही काम कर रही उसकी सहकमी ज्योति ने आखिर पूछ ही लिया अनिका आज बुझी बुझे सी क्यों लग रही हो? कोई बात है क्या? अनिका ने कंप्यूटर से ध्यान हटा ज्योति की और देखा और बोली- पता नही ज्योति, मन नहीं लग रहा है। इस बार घर जाने को बाँस छुट्टी देंगे या नाही? काल दीपावली है और कुछ दिन बाद ही छठ पूजा है। (इतना बोल अनिका काफी उदास हो गई)


ज्योति बोली- देख.. बॉस का पता नहीं चुट्टी देंगे या नही। कल दीपावली को भी टिफिन टाइम तक ड्यूटी का आर्डर है। फिर भी तुम आज ही चॉस से केबिन में मिलकर छुट्टी के लिए परमिशन लेने की कोशिश कर लो। हो सकता है बॉस एक दो दिन में मान जाएं।


अनिका ने कहाँ हाँ ज्योति, में भी आज ही परमिशन लेने की सोच रही हूँ। अनिका बिहार की पटना से है जो बैंगलोर की एक कंपनी 4 साल से कार्यरत है। प्राइवेट जॉब में छुट्टियों कम मिल पाती है। साल घर में आने वाले अनेकों तीज त्योहार छुट्टी न मिलने पर अनिका को इतना दुख नहीं होता था। पर छठ पर्व की बात ही अलग थी माँ और रिश्तेदार से जब भी फोन पर बात होती छठ में आने के जिक्र जरूर होता। अनिका माँ से वादा करती कि छठ पर्व पर जरूर आएगी। छठ पर्व बिहार की मिट्टी की खुश्बू, परिवारिक एवं सामाजिक सौहार्द, प्रकृति के प्रति प्रेम और आस्था का उत्सव है। बिहार की भूमि से शुरू हुआ छठ पर्व अब पूरे भारतवर्ष और विदेशों में भी अपनी पहचान बना चुका हैं। छठ पूजा में सूर्य, उषा, जल की पूजा की जाती हैं जो प्रकृति से जुड़ाव एवं प्रेम भावना है।


सूर्य प्रकृति को जीवनदायनी है। छठ पर्व के दौरान जिस तरह से शुद्धता और स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है, नदी, तालाब से लेकर सड़कों और मोहल्ले की गलियों तक पूरी तरह से स्वच्छ किया जाता है और इस स्वच्छता अभियान में आम जनता पूरी आस्था से भाग लेती है। इस तरह स्वच्छता के प्रति जागरूकता भी लाती है छठ पूजा। छठ पर्व के दौरान एक सकरात्मक चीज और देखने को मिलेगी वो है अंध नीच और असमानता का अभाव। वे असमानता अमीरी गरीबी की हो या स्त्री पुरुष की हो, दोनों तरह की असमानताओं का अंत करता है वे लोक आस्था का पर्व। यह एक ऐसा उत्सव है जिसमें अपनी इच्छ अनुसार स्त्री पुरुष दोनों प्रकृति के प्रति उपासना कर सकते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिनके पास कुछ ना भी हो तो भी अपनी आस्था से उपासना कर सकते है। छठ पर्व के दौरान उदारता, दयालुता और मदद की भावना भी देखने को मिलती हैं।



छठ पर्व में अस्त एवं उदित सूर्य की उपासना प्राचीन वैदिक संस्कृति की झलक दिखाई देती हैं। यह कार्तिक मास में मनाया जाता है। कहाँ जाता हैबिहार सबसे पहले रामायण काल में अंग प्रदेश की राजधानी मुंगेर में राम सीता ने 6 दिनों की सूर्य और उपा की उपासना की थी। महाभारत काल में एक कथा के अनुसार, जय पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए तब द्वीप दोने छठ चत्त किया। इससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुई तथा पांडवों को राजपाट वापस मिल गया। छठ पर्व अपने प्रियजनों और परिवार के साथ मिलकर मनाना विशेष महत्व है। हर किसी को अपने परिकार से दूर रह रहे सदस्यों का घर लौटने का बेसत्री से इंतजार होता है।


अनिका शाम 6 बजे बॉस के केविन में एक छुट्टी आवेदन पत्र लेकर पहुँचती हैं। बॉस आवेदन को पढ़ते है और टाइम पर ड्यूटी जॉइन कर लेने की हिदायत के साथ अनिका की सुट्टी मंजूर कर लेते हैं। अनिका के चहरे पर सकून की रौनक आ जाती हैं केबिन से निकलते ही अपने घर कॉल कर माँ को बताती है, की वो छठ पूजा में घर आ रही हैं। घर में छठ की खुशी दुगनी हो जाती है |

Comments


bottom of page