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अंधकार में प्रशांत किशोर का पॉलिटिकल कैरियर पास होंगे या फेल?



प्रिया कुमार


पीके अर्थात प्रशांत किशोर । बिहार का वह एक नौजवान नेता जो कभी पॉलिटिकल कैंपेन अर्थात चुनाव प्रचार प्रसार अभियान का एक्सपर्ट हुआ करता था, डाटा के दम पर किसी भी पार्टी को लोकसभा या विधानसभा में चुनाव जितवा देता था, वह इन दिनों नीतीश कुमार, लालू यादव, तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी सहित बिहार के तमाम दिग्गज नेताओं को ललकार रहा है और कह रहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह सत्ता परिवर्तन करवा कर रहेगा। प्रशांत किशोर ने बिहार के लाखों युवाओं को विकल्प देने का वादा किया है और कहा है कि विधानसभा चुनाव में नेता के बेटे-बेटी को टिकट नहीं बल्कि सुयोग उम्मीदवार को टिकट दिया जाएगा ।


सोशल मीडिया पर प्रशांत किशोर का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें वे अपने कार्यकताओं से पूछते हैं कि बिहार चलेगा या गुजरात चलेगा। कार्यकताओं द्वारा जवाब दिया जाता है बिहार चलेगा। प्रशांत किशोर फिर पूछते हैं गुजरात चलेगा या बिहार चलेगा। कार्यकर्ता फिर जवाब देते हैं कि बिहार चलेगा। इसके बाद प्रशांत किशोर कहते हैं कि पैसा हमारा और पसीना हमारा और राज तुम करोगे यह नहीं चलेगा। वीडियो पर लाखों लोगों का रिएक्शन है और हजारों लोगों ने अब तक कमेंट किये है। किसी ने पॉजिटिव तो किसी ने नेगेटिव कुल मिलाकर इतना तो कहा ही जा सकता है कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में भविष्य का वह ध्रुव तारा हैं जो चमकेगा या बूझेगा यह किसी को पता नहीं है।


इन दिनों बिहार के चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव चल रहे हैं । कारण साफ है कि यहां के सभी विधायक लोकसभा 2024 में चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। नियमानुसार 6 महीने में विधानसभा का उप चुनाव होना है । इसमें बिहार की रामगढ़, बेलागंज, इमामगंज और तरारी सीट शामिल है । मतदान 13 नवंबर को किया जाएगा। 23 नवंबर को मतगणना होगी ।


सुदामा प्रसाद तरारी से विधायक हुआ करते थे । सुधाकर सिंह रामगढ़, सुरेंद्र यादव बेलागंज और जीतन राम मांझी इमामगंज से विधायक थे।


अचानक से प्रशांत किशोर फैसला लेते हैं और ऐलान करते हैं कि इस चुनाव में उनकी जनसुराज पार्टी अपना उम्मीदवार उतारने जा रही है। लेकिन लगता है तैयारी किए बिना प्रशांत किशोर ने किसी दबाव में उपचुनाव लड़ने का फैसला ले लिया । नहीं तो कैंडिडेट के नाम का ऐलान करने के बाद उन्हें बार-बार अपना उम्मीदवार क्यों बदलना पड़ रहा है।


जन सुराज पार्टी ने बिहार की तरारी और बेलागंज सीट पर अपने उम्मीदवारों को बदल दिया है। बेलागंज में फिर से पुराने उम्मीदवारों को टिकट दिया है। तरारी सीट से जन सुराज पार्टी ने सेना के पूर्व उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल श्री कृष्ण सिंह को उम्मीदवार बनाया था। लेकिन अब उनकी जगह सामाजिक कार्यकर्ता किरण सिंह चुनाव लड़ेंगी । जो की बस मैट्रिक पास है। जबकि पिछले हफ्ते कृष्ण सिंह की उम्मीदवारी का ऐलान काफी धूमधाम से किया गया था। वहीं बेलागंज सीट से खिलाफत हुसैन की जगह अब पूर्व पंचायत मुखिया मोहम्मद अमजद को उम्मीदवार घोषित किया गया है।


श्री कृष्णा सिंह के टिकट क्यों काटे गए और उन्हें उम्मीदवार के रूप में क्यों बदल दिया गया इस पर जनसुराज पार्टी के नेताओं का कहना है की बिहार में कहीं भी वोटर लिस्ट में कृष्ण सिंह जी का नाम दर्ज नहीं है। चुनाव आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देश के अनुसार। अगर कोई उम्मीदवार विधानसभा का चुनाव लड़ता है तो उस राज्य उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज होना चाहिए । श्री कृष्णा सिंह का नाम दर्ज नहीं था । इसलिए प्रशांत किशोर ने विवाद से बचने के लिए उम्मीदवार के नाम बदल दिए।


कुछ इसी तरह बेलागंज विधानसभा सीट में प्रोफेसर खिलाफत हुसैन को प्रशांत किशोर ने विधानसभा चुनाव लड़ने का टिकट दिया, लेकिन उन्होंने यह कहकर टिकट वापस कर दिया कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है।


तरारी सीट से जन सुराज पार्टी के नए उम्मीदवार किरण सिंह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वहीं बेलागंज से उम्मीदवार मो. अमजद एक पूर्व मुखिया और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। वह 2005 और 2010 में भी बेलागंज से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं।


कुल मिलाकर प्रशांत किशोर के इस पदयात्रा को आप सुपर डुपर हिट कह सकते हैं


इसी बीच प्रशांत किशोर फैसला लेते हैं कि वह पॉलीटिकल पार्टी बनाएंगे या नहीं, इसको लेकर पटना में कार्यकताओं के साथ एक बैठक का आयोजन किया जाएगा। तय तिथि पर बापू सभागार में जबरदस्त भीड़ के बीच प्रशांत किशोर ऐलान करते हैं कि आगामी 2 अक्टूबर को हुए बिहार की राजधानी पटना में एक बड़ी जनसभा करेंगे। पूरे बिहार से लोगों को पटना बुलाएंगे और जन स्वराज पार्टी का ऐलान किया जाएगा।

प्रशांत किशोर चाहते थे कि उनकी पार्टी द्वारा आयोजित रैली का आयोजन पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में किया जाए, जहां कभी जेपी अर्थात जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ शंखनाद किया था। कभी लालू यादव ने शक्ति प्रदर्शन करते हुए तेल पिलावन लाठी घुमावन रैली का आयोजन किया था। कभी नीतीश कुमार ने कुर्मी रैली में भाग लेकर अपनी ताकत से लोगों को रूबरू करवाया था। तो कभी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम उम्मीदवार बनने के बाद हुंकार रैली के माध्यम से लोगों का मन मोह लिया था। लेकिन इसे राजनीति कहे या टेक्निकल एरर। प्रशांत किशोर की पार्टी को गांधी मैदान में कार्यक्रम करने का परमिशन नहीं दिया जाता है।

सरकारी विभाग द्वारा बताया जाता है कि 2 अक्टूबर को हर साल पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में गांधी जयंती के अवसर पर राजकीय कार्यक्रम का आयोजन होता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित बिहार के सभी मंत्रीगण श्रद्धा सुमन देने पहुंचते हैं। आम लोगों की भी भीड़ रहती है। इस कारण से प्रशांत किशोर की पार्टी को गांधी मैदान नहीं दिया गया। इसके बदले उन्हें गर्दनीबाग स्थित वेटरनरी प्लेग्राउंड दिया गया। प्रशांत किशोर भले दो अक्टूबर 2024 के दिन उसे खेल मैदान को भरने में असफल साबित हुए लेकिन इतना तो था कि उसे भीड़ को पैसे देकर नहीं लाया गया था।


उपचुनाव में क्या है प्रशांत किशोर का फैक्टर


इन दिनों हम लोग तरारी, रामगढ, बेलागंज और इमामगंज विधानसभा उप चुनाव में चुनावी कवरेज को लेकर जगह-जगह घूम रहे हैं।

पहले तरारी विधानसभा चुनाव की बात कर लेते हैं। यहां से बीजेपी ने बाहुबली नेता डॉ नागेंद्र व पांडे उर्फ सुनील पांडे के बेटे विशाल प्रशांत उर्फ. सुशील पांडे को इस बार चुनावी मैदान में उतारा है। 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए सुनील पांडे ने लगभग 50000 से अधिक वोट प्राप्त किए थे । सीपीआईएमएल के नेता सुदामा प्रसाद यहां से जीत दर्ज कर विधायक बने, जो वर्तमान समय में आरा के सांसद हैं। बीजेपी उम्मीदवार कौशल कुमार विद्यार्थी को तीसरा नंबर प्राप्त हुआ था और उन्हें लगभग 12000 वोट प्राप्त हुए थे। इस बार कौशल कुमार विद्यार्थी खुलकर एनडीए उम्मीदवार विशाल प्रशांत का समर्थन कर

रहे हैं और जगह-जगह घूम रहे हैं ।


अगर नॉमिनेशन की बात की जाए तो भीड़ जुटाने में राजू यादव की अपेक्षा विशाल प्रशांत अधिक सफल रहे हालांकि । चुनाव में कौन जीतेगा और हारेगा इसके लिए हमें इंतजार करना होगा ।


अगर तरारी विधानसभा में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी को लेकर बात की जाए तो अभी कुछ खास बदलाव होते नहीं दिख रहा । किरण कुमारी का अपना कोई वोट बैंक नहीं है। पार्टी के नाम पर और जाति के नाम पर उन्हें कितना वोट प्राप्त होता है यह देखना दिलचस्प होगा। हालांकि यहां एक बात मजेदार है । चुनाव प्रचार प्रसार के लिए प्रशांत किशोर की पार्टी ग्राउंड लेवल पर जमकर मेहनत कर रही है। उदाहरण के लिए डीएसपी के पद से रिटायर्ड समस्तीपुर के निवासी रामचंद्र राम को तरारी और पीरो प्रखंड में जगह-जगह घुमाया जा रहा है। उल्लेखनीय है की नौकरी के दौरान रामचंद्र राम पीरों अनुमंडल में सालों काम कर चुके हैं। इससे साफ है की जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार भले हारे या जीते लेकिन वह इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रहे हैं।


इसी तरह रामगढ़ में जनसुराज का खास असर दिखने को नहीं मिल रहा । इस सीट से राजद ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह उर्फ जगदा बाबू के बेटे और रामगढ़ सीट से पूर्व विधायक रहे सुधाकर सिंह के छोटे भाई अजीत कुमार सिंह

को चुनावी मैदान में उतारा है। सुधाकर सिंह वर्तमान समय में बक्सर से चुनाव जीत कर सांसद बने हैं और रामगढ़ सीट खाली हुआ है । इस सीट से भाजपा ने अशोक कुमार सिंह, बसपा ने सतीश सिंह उर्फ पिंटू यादव को टिकट दिया है। जन सुराज पार्टी ने सुशील कुशवाहा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।


जानकारों की माने तो रामगढ़ विधानसभा सीट से अजीत कुमार सिंह का पलड़ा भारी दिख रहा है। लोगों का यह भी कहना है कि सुधाकर सिंह हमेशा जनता के बीच में रहते हैं और जरूरत पड़ने पर एक फोन कॉल करने से लोगों के बीच आ जाते हैं। खासकर किसानों के लिए सुधाकर सिंह बिहार विधानसभा में भी विधायक होते हुए संघर्ष कर चुके हैं और नीतीश कुमार से टकराव तक कर चुके हैं। सांसद बनने के बाद भी बक्सर लोकसभा के लोगों के बीच उनका एक अलग ही क्रेज है। हालांकि यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी उम्मीदवार इस चुनाव में कितना अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं ।


बेलागंज विधानसभा सीट से एनडीए, महागठबंधन, जन सुराज और एआईएमआईएम के उम्मीदवार ने नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया है। जेडीयू ने यहां बाहुबली दिवंगत बिंदी यादव की पत्नी पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को टिकट दिया है। आरजेडी ने इस बार सांसद बने सुरेन्द्र यादव के बेटे विश्वनाथ यादव को उतारा है। सुरेन्द्र यादव 1990 से यहां विधानसभा चुनाव जीतते रहे हैं । जनसुराज ने यहां से पहले तो काफी हंगामे के बीच प्रो. खिलाफत हुसैन को टिकट देना तय किया था, लेकिन उम्मीदवार बदलकर मो. अमजद को टिकट दिया है । जबकि एआईएमआईएम ने मो. जमीन अली पर भरोसा जताया है ।


मो. अमजद पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। उन पर कई गंभीर मामले भी दर्ज हैं। एक तरफ जहां प्रो. खिलाफत प्रोफसर रहे हैं। वहीं, अमजद हाई स्कूल से ज्यादा नहीं पढ़े हैं।


मुसलमान उम्मीदवार उतारकर जन सुराज ने आरजेडी के बेस वोट बैंक को डैमेज करने की कोशिश की है। जेडीयू ने आरजेडी के यादव वोट बैंक में सेंधमारी के लिए मनोरमा देवी को उतारा है। यहां आरजेडी के दो सांसदों की ताकत की परीक्षा है। आरजेडी के सांसद सुरेन्द्र यादव सहित सांसद अभय कुशवाहा ताकत लगा रहे हैं। इस सीट पर जनसुराज पार्टी के उम्मीदवार बड़ा खेला कर सकते हैं। वे एक बार निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं और 30000 से अधिक वोट प्राप्त कर चुके हैं। ऐसे में अगर इस बार भी जनता का समर्थन उन्हें प्राप्त होता है तो वह या तो जीत दर्ज कर सकते हैं या किसी का खेल बिगाड़ कर उसे हरा सकते हैं। यह एकमात्र सीट है जहां जनसुराज पार्टी ने दमदार उम्मीदवार को खड़ा किया है इमामगंज विधानसभा सीट की बात करें तो यहां से एनडीए प्रत्याशी के रूप में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा से दीपा मांझी को उम्मीदवार बनाया गया है । जबकि महागठबंधन से राष्ट्रीय जनता दल के रोशन मांझी उम्मीदवार हैं। वहीं जनसुराज से जितेंद्र पासवान को उम्मीदवार बनाया गया है। एमआईएम से चंचल पासवान उम्मीदवार हैं।

अब यह भी जान लीजिए कि दीपा मांझी कौन है । उनके ससुर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी है और उनके पति संतोष कुमार सुमन वर्तमान समय में बिहार सरकार में मंत्री हैं। उपचुनाव से पहले जीतन राम मांझी यहां से विधायक हुआ करते थे। लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर वे सांसद बन चुके हैं। इससे पहले दीपा माझी जिला परिषद सदस्य रह चुकी है।


दीपा मांझी का पलड़ा भारी दिख रहा है लेकिन जीत उनके लिए आसान नहीं होगा। क्योंकि महागठबंधन ने भी जिस उम्मीदवार को टिकट दिया है वह भी मांझी समाज से आते हैं। कुल मिलाकर यहां इतना कहा जा सकता है टक्कर की लड़ाई है।


मात्र मैट्रिक पास है तरारी विधानसभा की जन स्वराज उम्मीदवार


पदयात्रा से लेकर पार्टी गठन करने के बाद भी कई बार जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर तेजस्वी यादव पर हमला करने के दौरान उन्हें आठवीं या नौवीं फेल बता चुके हैं। प्रशांत किशोर बार-बार कहते हैं की राजनीति को तब तक नहीं सुधारा जा सकता जब तक इसमें शिक्षित लोग नहीं शामिल होंगे और चुनाव लड़ेंगे। लालू-राबड़ी पर हमला करते हुए उनका कहना है कि राजा का बेटा सिर्फ राजा नहीं बनेगा। अब सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर जब राजनीति में शिक्षा को अधिक महत्व देते हैं तो आखिर उनकी क्या मजबूरी थी कि भोजपुर जिले के तरारी सीट से उन्होंने मात्र मैट्रिक पास उम्मीदवार किरण सिंह को पार्टी का टिकट दे दिया। नॉमिनेशन शपथ पत्र के अनुसार किरण सिंह मात्र मैट्रिक पास है। हालांकि आप इस बात से इत्तेफाक रख सकते हैं कि बिहार और भारत की राजनीति में कई ऐसे लोग हुए हैं जिन्होंने अल्प शिक्षा होने के बाद भी खुद को साबित कर दिखाया है।


अंधकार में प्रशांत किशोर का भविष्य



प्रशांत किशोर के पोलिटिकल कैरियर का भविष्य क्या होगा, वे पास होंगे या फेल, इसके लिए हमें उपचुनाव परिणाम तक इंतजार करना होगा। अगर चार में से एक भी सीट प्रशांत किशोर की पार्टी के उम्मीदवार निकाल लेते हैं या अधिकांश सीटों पर दो नंबर पर आते हैं तो तय मानिये की 2025 विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर और उनकी पार्टी जन स्वराज बड़े फैक्टर के साथ उभरने वाली है। लेकिन अगर इन सभी सीटों पर प्रशांत किशोर के सभी उम्मीदवार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं और महज पांच से दस हजार वोट लाकर सिमट जाते हैं तो तय मानिये की 2025 विधानसभा चुनाव में दिन में टार्च लेकर ढूंढने से भी इन्हें अपना एक भी उम्मीदवार नहीं मिलेगा।


गांधी जयंती पर 2 अक्टूबर को किया गया जन स्वराज का ऐलान



प्रशांत किशोर पिछले 2 साल से बिहार में जमकर मेहनत कर रहे हैं। इससे पहले उनका दावा है कि 2014 लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए काम किया था और चाय पर चर्चा जैसे अभियान को सफल बनाते हुए केंद्र की सत्ता पर नरेंद्र मोदी को आसीन करवाने में उनकी महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसके बाद जब बिहार में पहली बार एनडीए गठबंधन टूटती है तो प्रशांत किशोर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव द्वारा गठित महागठबंधन के लिए कैंपेन चलाते हैं। बिहार में बहार हो, नीतीश कुमार हो... पूरा कार्यक्रम सुपर डुपर हिट होता है और भाजपा गठबंधन को हराकर नीतीश कुमार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बन जाते हैं... इसके बाद तो प्रशांत किशोर की गाड़ी चल निकलती है। नीतीश कुमार उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देते हैं और अपने बंगले पर रखते हैं। जदयू में नीतीश कुमार के बाद प्रशांत किशोर को नंबर दो का पोजीशन दे दिया जाता है। मीडिया में सूत्रों के अनुसार खबर चलती है कि प्रशांत किशोर राज्यसभा जाना चाहते हैं। इसी बीच प्रशांत किशोर दिल्ली में केजरीवाल सरकार के लिए पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के लिए काम करते हुए न सिर्फ जीत दर्ज करते हैं बल्कि काउंटिंग से पहले भविष्यवाणी तक करने लगते हैं। बंगाल चुनाव में तो प्रशांत किशोर ने पत्रकारों से बात करते हुए इतना तक कह दिया कि अगर बीजेपी 100 से अधिक सीट प्राप्त कर लेती है तो वह कंपनी चलाना बंद कर देंगे। लोगों को लगा कि यह प्रशांत किशोर का बड़बोलापन है लेकिन काउंटिंग के बाद प्रशांत सही साबित हुए।


जो प्रशांत किशोर पहले 2014 में केंद्र की मोदी सरकार के लिए काम कर चुके थे अब वही प्रशांत किशोर बात-बात पर मुखर होकर भाजपा और एनडीए सरकार के फैसलों का विरोध कर रहे थे।


केंद्र की मोदी सरकार ने जब सिटिजन अमेंडमेंट केंद्र की मोदी सरकार ने जब सिटिजन अमेंडमेंट मार एक्ट अर्थात CAA कानून लाया और गृह मंत्री अमित के शाह ने ऐलान करते हुए कहा कि सिटिजन अमेंडमेंट पेश एक्ट के बाद उनकी सरकार पूरे देश में एनआरसी है लागू करने जा रही है। अमित शाह के इस बयान का कर प्रशांत किशोर ने ट्विटर से लेकर मीडिया में तो जबरदस्त विरोध किया। दो-चार दिन के बाद नीतीश बश कुमार ने उन्हें मिलने के लिए पटना स्थित एक अन्ने सने मार्ग बुला लिया। बाहर निकालने के बाद प्रशांत ाद किशोर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नीतीश ता कुमार से उनकी बातचीत अच्छी रही लेकिन उसी एक दिन तय हो गया था कि नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर च को साइड करने का फैसला ले लिया।


प्रशांत किशोर के पास अब चुनावी कैपन के म अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसी दौरान साल टंग 2024 लोकसभा चुनाव अभियान के लिए कांग्रेस ल द्वारा प्रशांत किशोर को मीटिंग के लिए बुलाया जाता रते है। प्रशांत किशोर दावा करते हैं कि कांग्रेस के लिए से जो उन्होंने मास्टर प्लान बनाया था उसे कांग्रेस के ना अधिकांश वरिष्ठ नेताओं ने मानने से इनकार कर बोर दिया। प्रशांत किशोर का यह भी दावा है कि राहुल गांधी की भारत जोरो यात्रा का कॉन्सेप्ट उनका दिया हुआ है। जो बाद में सफल रहा और राहुल गांधी की इमेज को रातों-रात बदलकर रख दिया।


अपने आप को सच साबित करने के लिए प्रशांत किशोर आए दिन बयान देने लगे। कभी पप्पू यादव से मीटिंग कर रहे थे तो कभी बिहार के किसी और नेता को सलाह दे रहे थे। इसी बीच 2 अक्टूबर 2022 को प्रशांत किशोर गांधी के चंपारण से पूरे - बिहार में भ्रमण करने के लिए और अपने साथ • युवाओं को जोड़ने के लिए पदयात्रा पर निकलते हैं। ऐलान किया जाता है कि प्रशांत किशोर अपनी टीम के साथ 3500 किलोमीटर की यात्रा पैदल तय - करेंगे। यह भी बताया जाता है कि इस दौरान 12 से 18 महीने का समय लगेगा।


प्रशांत किशोर का मीडिया मैनेजमेंट और सोशल मीडिया टीम के प्रभाव से इस पद यात्रा में हर एक जगह लोगों में खास उत्साह देखा जाता है। उद्घाटन - के दिन पटना की तमाम बड़े-बड़े मीडिया हाउस और बड़े-बड़े यूट्यूब चैनल वालों को गाड़ी में बिठाकर - चंपारण ले जाया जाता है। अच्छा खाना खिलाया न जाता है, सभी मीडिया हाउस को विज्ञापन के नाम न पर मोटी रकम दी जाती हैं। रोज-रोज पदयात्रा को लेकर प्रशांत किशोर के बारे में मीडिया में खबरें बनने र लगती है। आज प्रशांत ने यह कहा। आज प्रशांत ने - नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को ललकार दिया। लालू को चारा चोर तो तेजस्वी को नौवीं फेल बताया। न लोकल यूट्यूब चैनल वाले तो उनके साथ चल रहे थे और लाइव भी कर रहे थे।


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